पत्नी कमाती है तो पति से गुजाराभत्ता की हकदार नहीं,दिल्ली कोर्ट का अहम फैसला

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नई दिल्ली. पत्नी की गुजाराभत्ता याचिका पर अदालत ने एक अहम फैसला दिया है. अदालत ने कहा है कि अगर पत्नी कमाने योग्य है तो वह पति से गुजाराभत्ता मांगने की हकदार नहीं है. रोहिणी स्थिति अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ए पांडे की अदालत ने अपने फैसले का विस्तृत से व्याख्या करते हुए कहा है कि यदि पत्नी/महिला उच्च शिक्षित है और शारीरिक तौर पर स्वस्थ है तो भी उसे कमाकर खाना चाहिए. जानबूझकर अपनी योग्यता को दबाना कानूनी व नैतिक दोनों तरीकों से गलत होता है.

अदालत ने यह टिप्पणी करते हुए पति से गुजाराभत्ते की मांग कर रही महिला की याचिका को नामंजूर कर दिया. अदालत ने इस महिला को सलाह दी कि वह सिर्फ मुकदमे में मुश्किलें डालने के लिए नौकरी ना छोड़े. अदालत ने कहा कि उसके पूर्व के रिकार्ड बताते हैं कि वह पिछले एक दशक से ज्यादा समय से नौकरी कर रही थी. लेकिन पति से विवाद होने पर उसने नौकरी छोड़ दी और अब वह पति से 50 हजार रुपये महीने का गुजाराभत्ते की मांग कर रही है.

इस मामले में पति-पत्नी के बीच विवाद चल रहा है. दोनों तीन साल से अलग रह रहें हैं. इनकी पांच साल पहले शादी हुई थी. शादी के समय भी पत्नी नौकरी करती थी. दोनों को कोई संतान नहीं है. अदालत ने महिला की याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि अब उन्हें दूसरे मामलों के निपटारे पर ध्यान देना चाहिए. बेवजह इल्जाम लगाना या जबरदस्ती के मुकदमेबाजी से देानों का भविष्य प्रभावित होगा.

इस मामले में महिला की कमाई के बाबत उसके पति ने आयकर रिकॉर्ड अदालत के समक्ष पेश किया. इस आयकर रिकार्ड के मुताबिक महिला पिछले एक दशक से ज्यादा समय से नौकरी कर रही थी और आयकर का भुगतान भी करती थी. यहां तक की पति द्वारा पेश आयकर रिकॉर्ड से पता चला कि महिला की आय अपने पति की मासिक आय से अधिक थी. इसके बाद अदालत ने महिला से नौकरी के बाबत सत्य छिपाने पर सवाल किए तो महिला ने कहा कि पति से गुजाराभत्ता पाना उसका अधिकार है. इसलिए उसने यह याचिका लगाई है.

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