नई दिल्ली. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सोमवार 1 जून को केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) की कैंटीनों में सिर्फ स्वदेशी सामान बेचने के फैसले को कुछ घंटे में ही वापस ले लिया. गृह मंत्रालय ने सोमवार को ही बताया था कि जो सामान स्वदेशी नहीं हैं या या फिर जिन्हें पूरी तरह आयातित उत्पादों से बनाया जाता है, उन्हें सीएपीएफ कैंटीन में नहीं बेचा जाएगा.
बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 13 मई को घोषणा की थी कि कैंटीन एक जून से केवल स्वदेशी उत्पादों की बिक्री करेंगे, ताकि घरेलू उद्योगों को बढ़ावा दिया जा सके. हालांकि इसके बाद इस फैसले पर रोक लगा दी गई है. इसके बाद 1 जून को गृह मंत्रालय ने साफ कहा कि केंद्रीय पुलिस कल्याण भंडार की कैंटीनों में अब केवल मेड इन इंडिया सामान ही बेचे जाएंगे, लेकिन इसके कुछ घंटे बाद ही इस पर रोक लगा दी गई. आदेश में कहा गया था कि जो चीजें पूरी तरह से आयातित उत्पादों से बनाई जाती हैं, उन्हें सोमवार से केंद्रीय पुलिस कल्याण भंडार या सीपीएफ कैंटीनों की सूची से हटाया जा रहा है.
कुछ खास उत्पादों में आयातित सामान का इस्तेमाल करने वाली और सूची से बाहर हुई कंपनियों में ब्लू स्टार लिमिटेड, बोरोसिल ग्लास वर्क्स लिमिटेड, कोलगेट पामोलिव इंडिया लिमिटेड, डाबर इंडिया लिमिटेड, वीआईपी इंडस्ट्रीज, यूरेका फोर्ब्स, जगुआर, एचयूएल (फूड्स), नेस्ले इंडिया और अन्य शामिल हैं. सीएपीएफ कैंटीनों का सालाना तौर पर 2,800 करोड़ रुपये का अनुमानित कारोबार है. ये कैंटीन लगभग 10 लाख कर्मियों वाले बलों के 50 लाख परिजनों को विभिन्न सामान बेचती हैं. केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के कर्मी आंतरिक सुरक्षा से लेकर सीमा रक्षा तक का दायित्व निभाते हैं.