लॉकडाउन के दौरान पारले-जी की इतनी अधिक बिक्री हुई है कि 82 सालों का रिकॉर्ड टूट गया

5 रुपए में मिलने वाला पारले-जी बिस्कुट का पैकेट सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलने वाले प्रवासियों के लिए भी खूब मददगार साबित हुआ

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मुंबई. कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने के लिये देश भर में लागू किये गये लॉकडाउन के दौरान पारले-जी बिस्कुट ने बिक्री का नया रिकार्ड बनाया है. लॉकडाउन के दौरान पारले-जी की इतनी अधिक बिक्री हुई है कि 82 सालों का रिकॉर्ड टूट गया है.

बताया जा रहा है कि सिर्फ 5 रुपए में मिलने वाला पारले-जी बिस्कुट का पैकेट सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलने वाले प्रवासियों के लिए भी खूब मददगार साबित हुआ. किसी ने खुद खरीद के खाया, तो किसी को दूसरों ने मदद के तौर पर बिस्कुट बांटे. बहुत से लोगों ने तो अपने घरों में पारले-जी बिस्कुट का स्टॉक जमा कर के रख लिया.

कंपनी के लिए मार्च, अप्रैल और मई 8 दशकों में उसके सबसे अच्छे महीने रहे हैं. पारले प्रोडक्ट्स के कैटेगरी हेड मयंक शाह ने कहा कि कंपनी का कुल मार्केट शेयर करीब 5 प्रतिशत बढ़ा है और इसमें से 80-90 प्रतिशत ग्रोथ पारले-जी की बिक्री से हुई है.

एफएमसीजी प्लेयर्स पर स्टडी करने वाले क्रिसिल रेटिंग्स के सीनियर डायरेक्टर अनुज सेठी कहते हैं कि ग्राहक हर वो चीज खरीद रहे थे, जो मिल रही थी. भले ही वह प्रीमियम हो या इकनॉमी. कुछ प्लेयर्स ने तो प्रीमियम वैल्यू पर ही फोकस किया.

इन सभी प्लेयर्स ने 18-24 महीनों में अपना डिस्ट्रिब्यूशन बढ़ाने पर फोकस किया, खासकर ग्रामीण इलाकों में कोरोना वायरस महामारी के दौर में उनकी वो मेहनत रंग लाई. हालांकि पारले जी की बिक्री का सही आंकड़ा तो नहीं मिला लेकिन एक अनुमान के अनुसार साल 2020 में भारतीय बिस्किट क्षेत्र 36,000 रुपये से 37,000 करोड़ रुपये तक आंका गया है.

1938 में स्थापित इस कंपनी की बिक्री में इस दौरान इजाफा होने की वजह यह है कि लॉकडाउन के दौरान आम लोगों ने इसकी बड़े पैमाने पर खरीद की है और चाय-नाश्ते के दौरान लोगों ने इस बिस्किट को सबसे ज्यादा खाया है. पारले जी बिस्किट की सेल में इजाफे की वजह प्रवासी मजदूरों को बांटी गई राहत सामग्री में इसका शामिल होना भी है.

आंकड़ों के अनुसार इस दौरान ब्रिटानिया का गुड डे, टाइगर, मिल्क बिकिस, बार्बोन और मैरी बिस्कुट के अलावा पारले का क्रैक जैक, मोनैको, हाइड एंड सीक जैसे बिस्कुट भी खूब बिके. मयंक शाह कहते हैं कि लॉकडाउन के दौरान पारले जी बहुत से लोगों को आसान खाना बन गया. कुछ के लिए तो यह उनका इकलौता खाना था. जो लोग रोटी नहीं खरीद सकते वह भी पारले-जी बिस्कुट खरीद सकते हैं.

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